टटपूंजिये स्टार्ट अप और भारतीय अर्थव्यवस्था
दिसंबर का महीना आमतौर पर अमेरिका में खरीदारी के लिए सर्वाधिक उपयोगी माना जाता है, और जहाँ एक तरफ बड़ी बड़ी कंपनिया स्टॉक क्लीयरिंग सेल का बोर्ड लगा कर अच्छा ख़ासा डिस्काउंट देती है वही दूसरी तरफ आम जनता के लिए अपनी पुरानी चीजों का परित्याग करके, न सिर्फ सस्ते दामों पर अपनी पसंदीदा सामान खरीद लेते है बल्कि अपनी जमापूंजी का सदुपयोग भी कर लेते है. और अगर ईयर एंडिंग सेल की बात दरकिनार भी कर दी जाए तो भी नयी कंपनियों के लिए ये एक सुअवसर से कम नहीं होता कि वे इस पवित्र महीने (जीसस क्राइस्ट के जन्मदिन के कारण) अपने प्रोडक्ट की लॉन्चिंग करे. हालांकि ऐसा हर प्रोडक्ट की लॉन्चिंग के लिए शुभ हो ऐसा जरूरी नहीं, गौरतलब है कि इसी तरह के पूर्वाग्रह कि शिकार अमेरिकी कंपनी माइक्रोसॉफ्ट भी हो चुकी है जिसने विंडोज 7 का आगाज दिसम्बर महीने में किया. भले ही प्रोडक्ट उतना सफल नहीं रहा परंतु अमेरिकी कंपनिया और वहां कि जनता में इस पवित्र महीने को लेकर क्रेज कुछ ज्यादा ही है. कमोबेश यही परिस्थितियां इस बार भारतीय बाज़ारों में भी है परंतु यहाँ इस रुझान का कारण कुछ और न होकर बल्कि नोटबंदीकरण से जुड़ा हुआ है. जहाँ