चोरी का मह्त्त्व दिनोदिन बढ़ती चोरी कि घटनाओं ने अचानक ही मुझे ये सोचने पर मजबूर कर दिया कि क्या वास्तव में ये हमारे प्रशासन और सुरक्छा के इन्तेजामत कि विफलता है या दुनिया में अमीरों कि अचानक आयी बाद ने ये नई समसया पैदा कर दी है. खैर, ख़ुद को खुश रखने को ग़ालिब ये खैयाल अच्छा है, हाल फिल्हाल में हमारे पड़ोसी को भी ऐसे ही एक वाकये से दो- चार होना पड़ा. ऑफिस से लौटते वक्त लोगों का एक छोटा सा हुजूम मिश्रा जी के घर के सामने लगा देख् मन ना जानी कैसी- कैसी कल्पनाओं से घिर गया, लपक कर देखा तो पता चला मिश्रा जी के चोरी हुई है. लोगों से ये भी पता चला कि चोर ने सामान ले जाने के बजाय कैश पर ही हाथ साफ़ करना बेहतर समझा; कुल मिलाकर 40- 50 हज़ार कि चोरी हुई थी, जिसने भी सुना दिखावटी सहनभूति प्रकट करने आ गया.अगले दिन पड़ोस के ही शुक्ला जी शाम को चाय पर आए तो बताया कि मिश्रा जी तो बड़े गप्पी है चोर बमुश्किल से 5-7 हज़ार ले गए होंगे लेकिन अपने स्टेटस को बड़ा चढ़ा कर दिखाने लिए उन्होंने ये हथकण्डा अपनाया. उनकी बातें सुनकर मुझे आस्चर्य तो बहुत हुआ लेकिन फिर समाज में स्टेटस दिखाने का तरीका काफ़ी हद
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