दूरसंचार का सच
विगत कुछ वर्षो में जब ट्राई (TRAI) की ओर से एक आधिकारिक बयान दिया गया था. जिसमे देश में बढ़ती हुयी टेलीकॉम प्रतिस्पर्धा पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा गया था कि अगर प्रतिस्पर्धा की इस खतरनाक प्रवित्ति पर ध्यान नहीं दिया गया तो वह दिन दूर नहीं जब टेलीकॉम कंपनिया अपना स्वयं का नुक्सान कर लेंगी. और इस बात में कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी की पारस्परिक बढ़ती प्रतिस्पर्धा का फायदा उपभोक्ता को मिला. गौरतलब है की पिछले कुछ वर्षो में टेलीकॉम कंपनियों की प्रतिस्पर्धा सिर्फ वॉइस कालिंग रेट, मेसेजिंग सर्विसेज और रोमिंग दर को ही केंद्रित रख कर निर्धारित की गयी. हालाँकि बीतते वक़्त के साथ बीएसएनएल जैसे सरकारी उपक्रम का रोमिंग फ्री प्लान ने अगले नए वॉर की न सिर्फ शुरूआत भर की बल्कि बीएसएनएल जैसी मृतप्राय कंपनी को मानो एक मृत संजीवनी दे दी. प्रत्यक्छ रूप से बीएसएनएल के इस नए प्रयोग का कोई सीधा फायदा भले ही उतना न रहा हो परंतु निसंदेह यह उन लोगो के लिए बहुत फायदेमंद रहा जो प्रायः एक स्थान से दूसरे स्थान पर गमन करते है. अब चूँकि संचार माध्यमो में प्रगति को हम दूरसंचार की क्रांति से जोड़ कर देख रहे है ऐसे मे