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Showing posts from April 19, 2017

निंदक नियरे राखिये

जिस दिन सुना उसे कहते हुए कि मैं कुछ ऐसा करना चाहता हूँ जो देश के काम आये, समाज के काम आए, मैं मन ही मन मुस्काया अपनी दाढ़ी के कुछ सफेद हो चुके लहराते हुए सफेद बालों का ख़याल करके सोचा, लगता है मियां अभी तक ख्वाबो की ही दुनिया में जी रहे हो शायद l वरना कौन भला इन पचड़ों में पड़ता है, उस पर से जब खुद न कुछ बन सके तो दुनिया को वनाने लगे। अब आप भले ही इसे मेरी तुक्ष्य मानसिकता कहे या फिर मेरी नकारात्मक सोच, परंतु वास्तविकता तो यही है। इसी वक्त के मुफीद ग़ालिब का एक शेर याद आ गया, "चली न जब कोई तदबीर अपनी ए ग़ालिब, तो हम भी कह उठे यारों यहीं मुकद्दर था"। अब जबकि आप मेरी बातों को मेरी मानसिकता और मेरी उस शख़्स से जलन के तौर पर देख रहे है तो यहाँ मैं आपके कुछ पूर्वाग्रह को दूर करना चाहूंगा, अव्वल तो यह कि दुनिया में कोई भी सम्पूर्ण नही है, समर्थवान भी नही है, मसलन कुछ न होने पर यह सोच कर खुद को और दूसरों को दिलासा देना की कुछ होने पर या समर्थवान बन जाने पर अमुक-अमुक काम करूंगा, और फिर कुछ बन जाने के बाद अपनी ही कही बातों को मूर्खता की संज्ञा देकर मजाक उड़ाना। आपको ये भी भली प्रकार य

भारत-पाक बंटवारे का किस्सा एक साहित्यिक दृष्टिकोण

प्रस्तुत उदाहरण ओशो के एक प्रवचन से उद्धत है हालांकि इसका उद्देश्य सर्वथा भिन्न है और उदाहरण का प्रयोग सिर्फ विषय वस्तु की श्रेष्ठता को बनाये रखना है, शेष विचार लेखक के स्वयं के है और मौलिक है। हिंदुस्तान और पाकिस्तान के बटवारे के दौरान एक पागलखाना भी बटवारे की जद में आ गया। अब चूंकि पागलखाना भारत और पाकिस्तान की सीमा पर था इसलिए अब उसका बंटवारा होना भी तय था, यही बात अगर किसी इबादतगाह के लिए, मकान के लिए या किसी संपत्ति के लिए होती तो लोग बाग या तो उसे गिरा देते या फिर लूट लेतेI बहरहाल, कुछ बुद्धिमानो ने पागलखाने का भी बंटवारा करने का फैसला किया, नतीजतन सीमा-रेखा के अनुसार ही पागलखाने में पागलो को अलग करने के लिए एक दीवाल बना दी गयीI  गुजरते वक्त के साथ एक दिन दीवाल का ऊपरी कुछ हिस्सा टूट कर गिर गयाI दोनों तरफ के पागल बारी-बारी से दूसरी तरफ झांकते और ये सोच कर आश्चर्यचकित होते कि दूसरी तरफ भी वैसा ही कुछ है जैसा इधर और फिर जैसे पहले था. पागल खुश होकर, ताली बजा-बजा कर एक दुसरे से कह रहे थे कि ये लोग भी अजीब है पागल हमें बोलते है और पागलपन खुद करते हैI  सच भी है, इस बंट