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समाजवाद में धर्म का स्थान

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  समाजवाद के विकास के साथ-साथ जिस विषय पर सबसे कम प्रकाश डाला गया वह था ईश्वर में विश्वास अथवा ईश्वर के प्रति आस्था। सभी समाजशास्त्रियों ने किस प्रकार इस विषय को समाज का एक अपरिहार्य न मानते हुए समाजवाद की परिकल्पना प्रस्तुत की, यह निसंदेह एक शोध का विषय हो सकता है। जिस प्रकार अनेक व्यक्ति ईश्वर की संकल्पना एक सर्वशक्तिमान एवं समाज को दिशा देने वाले मार्गदर्शक श्रोत के रूप में करते है वह वास्तव में बहुत अनूठा है। ईश्वर के बिना समाज की कल्पना करना प्राण के बिना प्राणी अथवा शरीर की कल्पना करने जैसा है। सृष्टि के आरंभ से ही व्यक्ति अपने अज्ञान के कारण एक ऐसी शक्ति को सर्वश्रेष्ठ मानने लगा जो जीवोत्पत्ति के लिए तथा सृष्टि को निर्बाध रूप से चलाने हेतु जिम्मेदार समझी गयी। हालांकि पाश्चात्य दर्शन एवं वैज्ञानिक दृष्टिकोण ने काफी हद तक इस भ्रम को तोड़ने का काम किया और ईश्वर की उपासना जिसे धर्म का नाम दिया गया था उसका स्थान पूंजीवादी मानसिकता ने लिया परंतु पश्चिमी देश धर्म की वास्तविक व्यख्या करने में विफल रहे और समाज का एक बहुत बड़ा तबका आस्तिक बन गया। धर्म का यह अनुसरण ईश्वर के प्रति आस्था एवं

क़िस्सागोई- अध्याय 1

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  आज बात वहां पर खतम हुई, जहां से कभी शुरू होती थी। उम्र का एक पड़ाव ऐसा भी था, मानो सब कुछ वहीं आकर ठहर सा जाता हो। कल तक उस पल में हम भविष्य को लेकर चिंतित थे। लगता था आज नहीं तो कल सब हासिल कर लेंगे, बस थोड़ा सब्र और। बस थोड़ा समय और, बस थोड़े पैसे और, थोड़ा साथ और। लगता था जैसे भले ही वो कल न आए मगर ये पल भी कुछ बुरा तो नहीं है। मुफ़लिसी का भी अपना ही मजा हुआ करता था,क्योंकि उस मुफलिसी में तुम जो साथ थे।चाहिए तो सब कुछ था, मगर तुम्हारे बगैर नहीं। सच पूछा जाए तो कितनी ही दफा इस बात को सिरे से खारिज कर दिया कि क्या होगा अगर तुम कल साथ नहीं हुए तो। डर तो लगता था, कहीं छुपा हुआ सीने में किसी कोने में। मगर तुम्हें यकीन दिलाने के लिए कितनी ही दफा मैंने झूठ बोला कि ऐसा कुछ भी नहीं होगा। आज भी लगता है कि कहीं न कहीं तुम मेरा दुख समझती थी, मेरे झूठ को हर बार की तरह पकड़ लेने की काबिलियत थी तुम में। मगर फिर भी तुम्हारा मेरे चेहरे और मेरी आँखों को एकटक देखना और कुछ न कहना मानो मेरी दलीलों को सिरे से नकार देता था। मेरे सिर नीचे करने या मुंह फेर लेने की आदत से तुम वाकिफ थी। शायद ये बात तुमसे नजरें मिल

IS IT OK IF IT IS NOT OK AT ALL?

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Many a time I thought about it but barring few vogue ideas seldom any meaningful thing popped up in my barren mind. However, I stumble upon the title when everything turned around. Imagine that the pay master expresses his inability to pay you as business is doomed. However, he also agrees to remain your services intact and assures you to resume once everything normalized. Your work from home option serves no purpose as it is more like spending time with your family and fails to acknowledge the effort you put in. You move ahead accepting it’s a part of life. Start giving time to what you are good at but then realize that life is full of thankless people and jobs that hardly acknowledge your effort, dedication, devotion and hard effort. Freelancing turns free and mere time pass activity as the people you worked for refuse to pay you. They stop taking calls and even replying your messages. The irritation grew up gradually, you want to punch on their face but unable to do so. The incomp

LOON BALLOON: - A BOON OR BANE?

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Recently, Loon Inc a subsidiary of alphabet Inc of Google has launched loon balloons to provide internet services in Narobi. Altogether 35 such balloons have been launched. This will cover approximately 31,000 square km area throughout central western Kenya and Narobi. Theses balloons work as floating mobile towers. They are powered by solar cell and guided through the software. They float in the stratosphere for almost 100 days and then return back to the earth. The entire project was announced in July 2018. The technology can work in remote areas and places where installation of tower is difficult.   How Loon Balloons work? Loon balloons are deployed in stratosphere to form a network, between the altitudes of 18 to 25km. The stratosphere is advantageous because of low turbulence and wind speed. The longitude and latitude of these balloons can be changed through clanging the altitude. This is done by changing the volume and density of the filled gas. The technology can be used i