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Showing posts from November 23, 2013
                                                                  फर्क  "इस बार शायद आ नहीं पाऊंगा दीवाली पर माँ." बेटे ने माँ से फ़ोन पर कहा. "लेकिन अभी कल तक तो तू कह रहा था कि आ जायेगा. वैसे भी कितने दिन हुए तुझसे मिले हुए. त्यौहार में ही तो सारा परिवार इकठ्ठा होता है." माँ ने समझाते हुए कहा. " क्या करूं माँ आफिस से छुट्टी ही एक दिन कि मिली है अब एक दिन में आना जाना तो हो नहीं पायेगा. वैसे भी त्योहारों के मौके पर रिजर्वेशन मिलना नामुमकिन सा हो जाता है." बेटा बोला. " ठीक है बेटा कोई नहीं; नौकरी जरूरी है, आखिर तेरे भविष्य का सवाल है, त्यौहार तो आते जाते रहेंगे. और हाँ पैसे-वैसे हैं न तेरे पास? किसी चीज़ कि चिंता मत करना." माँ ने परिस्थिति को समझते हुए कहा. दूसरी तरफ बहू ने अपनी माँ से कहना शुरू किया- "हेल्लो माँ, हाँ -हाँ इन्हे छुट्टी मिल गयी है हम कल शाम को ही घर पहुँच जायेगे, बड़ा मजा आयेगा इस बार दीवाली पर. सब लोग मिल कर दीवाली मनाएंगे, और हाँ यहाँ से कुछ लाना हो तो बताओ." कुछ था जो बेटे को मन ही मन कचोट रहा था. लेखक- डी.एस