जिंदगी झंड है, फिर भी घमंड है....
जिंदगी झंड है, फिर भी घमंड है... काम कुछ ज्यादा ही अर्जेंट था। हालांकि पूरा करने के लिए समय लगभग ठीक ठाक ही मिल गया था।।मगर कुछ दिन तो यहीं सोच कर मौज मस्ती में काट दिए कि एक दो दिन में ही पूरा निपट जाएगा। और जब डेडलाइन सिर पर आ गयी तो नतीजा देर रात तक जाग कर काम करने की टेंशन सवार हो गयी। दिमाग ने जैसे काम न करने की कसम खा रखी हो और ऐसे बिहेव करने लगा मानो सुबह सुबह किसी बच्चे को नींद से जगा कर जबरन स्कूल भेजा जा रहा हो। दिन भर का थका हारा जब मैं घर पहुंचा तो सिर्फ एक ही टेंशन सवार थी, क्लाइंट इन्तेजार कर रहा होगा और भले ही अगर मैं उसे टाइम पर काम पूरा करके नही दे पाया तो पूरा तो छोड़िए एक आध प्रोजेक्ट का भी जो पैसा मिलना होगा वो भी गया समझो। हालांकि ये भी एक दीगर बात है कि काम तय समयसीमा में पूरा करने के बाद ही पेमेंट तब ही होगा जब काम अप्रूव होगा उस पर भी एक-एक क्लाइंट के आगे चार-चार पांच-पांच एजेंसीज लाइन लगाए खड़ी रहती हैं और उन एजेंसियों में मेरे जैसे न जाने कितने लोग रात दिन कलम घिसते और राते काली करते नजर आते है। हर कोई इसी उड़ेधबुन में रहता है कि उसका काम सबसे बेहतर हो। द