आखिर गाँधी महान क्यों है?
मित्रो मेरे इस लेख का प्रयोजन कुछ पथ भ्रमित लोगों, जो गाहे-बगाहे गाँधी जी की प्रासंगिकता और उनके होने या न होने के औचित्य पर मूर्खतापूर्ण टीका टिपण्णी करने वालो को मेरा प्रत्युत्तर कहा जाये तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी । जहाँ एक तरफ भारत की स्वतंत्रता से लेकर औद्योगिक विकास के क्रम में गाँधी जी की दूरदर्शिता साफ़ परिलक्षित होती है वहीँ दूसरी तरफ एक महान क्रांतिकारी और देश को दिशा प्रदान करने वाले महापुरुष के चरित्र और कार्यकलापो पर प्रश्नचिन्ह लगाने वालो का गर्दभरुदन निसंदेह मेरे समझ से परे है । मेरे इस लेख का उद्देश्य न केवल लोगों को गाँधी जी के उन कार्य कलापों से अवगत कराना है जिसने उन्हें महान बनाया बल्कि उन्हें उस परिपेक्ष से भी रूबरू कराना है जिसने गाँधी जी के आन्दोलन को एक दिशा दी । बात उन दिनों की है जब भारत में अंग्रेजी शासन अपने चरम पर था । भारतीय अग्रेजो द्वारा न केवल प्रताणित किये जा रहे थे बल्कि अंग्रेजो ने भारतीय उद्योग धंधो को भी बहुत अधिक क्षति पहुंचाई थी । गाँधी जी के स्वतंत्रता के लिए जारी संघर्ष और उनके सहयोग के लिए कुछ लोग गांधी जी से आकर मिले और उन्हें