सुपात्र की पहचान


आप दो तरह के लोगो को कभी संतुस्ट नहीं कर सकते पहले वो जो पूर्वाग्रह से ग्रस्त हो और दूसरा वो जो अपने को सम्पूर्ण मानते हो. यही बात शास्त्रो में ज्ञान, सलाह और सहायता के विषय में भी कही गयी है. पात्र का चयन ही इस सारी प्रक्रिया का मूल है, जब तक आप सुपात्र और कुपात्र में अंतर नहीं कर पाएंगे तो आप के द्वारा दी गयी मदद, सहायता अथवा ज्ञान व्यर्थ ही जाएगा. आधुनिक हथियार रिवाल्वर के निर्माता "कोल्ट" ने एक बार अपने व्याख्यान में कहा था कि रिवाल्वर कि खोज करना उनके लिए एक अभिशाप के सामान है उन्होंने अनजाने ही मानवता को एक ऐसा हथियार दे दिया है जो सम्पूर्ण मानवता के लिए खतरा है. ठीक इसी तरह कि गल्प का वर्णन विष्णु शर्मा ने अपनी पुस्तक "पंचतंत्र" में किया है जिसमे गुरुकुल से लौट रहे कुछ शिष्य अपने ज्ञान को परखने और उसकी श्रेष्ठता सिद्ध करने के लिए एक मरे हुए शेर को जीवित कर देते है. और बाद में वही शेर उनका भक्षण कर लेता है. ठीक यही बात विद्यार्जन से भी जुडी हुयी है सीखने वाले को बिना किसी पूर्वाग्रह और सर्वविदित कि परिधि से बाहर निकल कर सोचना चाहिए. जिस प्रकार एक पूरी तरह भरे हुए पात्र में द्रव्य नहीं भरा जा सकता है ठीक उसी तरह पूर्वाग्रह व्यक्ति में कुछ नया सीखने कि प्रवित्ति को ही समाप्त कर देता है और व्यक्ति अहंकारी हो जाता है. रावण और लक्ष्मण भी इस तरह के पूर्वाग्रह से ग्रस्त थे, लक्ष्मण ने तो भाई के कहने पर पूर्वाग्रह त्याग कर ज्ञान अर्जित किया परन्तु रावण अपने अहंकार के कारन ही मार गया. मशहूर पुस्तक "स्टे हंगरी, स्टे फूलिश" कि लेखिका रश्मि बंसल भी इसी बात पर जोर देती है. गाहे-बेगाहे आपको अक्सर ऐसे लोग मिल जाएंगे जो अपने थोथे ज्ञान का अभिमान करते है और तर्क-वितर्क कि तो बात छोड़ दे वे कुतर्क पर उत्तर आएंगे अपनी बात सिद्ध करवाने के लिए. ज्ञान कि बात अज्ञान रूपी सस्त्र से समाप्त करने कि कोशिश करेंगे बात जबानी जमाखर्च से शुरू होकर बौद्धिक चंता और ज्ञान को पर हटाकर विवाद कि शक्ल ले लेगी और फिर विवाद भाषागत क्रोध को जन्म देगा और अगर फिर भी बात यही ख़त्म नहीं हुयी तो बल प्रदर्शन तक अवश्यम्भावी हो जायेगा. अलपज्ञान का स्तर पहले अज्ञान और फिर मूर्खता पर उतर आएगा.
अब प्रश्न उठता है पात्र और कुपात्र के चयन पर तो इस विषय से जुडी एक ज्ञानवर्धक कहानी मेरे जेहन में आती है. एक बार दो व्यक्ति किसी गॉव से गुजर रहे थे तभी दो व्यक्तियों ने उन्हें रोक कर आकाश की तरफ इशारा कर के पूछा की वो चमकने वाली चीज क्या है इसी विषय पर हमारा विवाद चल रहा है अब तुम इस बात का निर्णंय करो की कौन सही है, मैं कहता हूँ सूरज है और वो कह रहा है की चाँद. उसकी बातें सुनकर उस बुद्धिमान व्यक्ति ने कुछ पल इंतजार किया फिर बोला माफ़ करना भाई मैं इस गॉव में नया हूँ इस लिए इस विषय में मुझे कोई जानकारी नहीं है. बाद में कुछ आगे बढ़ने पर उसके मित्र ने पूछा की वह सच भी तो कह सकता था. इस पर उस बुद्धिमान व्यक्ति ने कहा की एक के हाथ में डंडा था और दुसरे के हाथ में चाक़ू ऐसे में जो व्यक्ति गलत सिद्ध होता वो उसकी जान का दुश्मन बन जाता फिर ऐसे व्यक्ति को ज्ञान देने की जरूरत क्या है ?

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