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SALARY????? WHY IT IS SO IMPORTANT

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SALARY????? WHY IT IS SO IMPORTANT Last week I received a pesky call from one of the premier bank offering credit card with lowest EMI option, with much discussion and concentration and the lucrative benefits that they were offering I could not refrain myself coveting for the same. Everything came to a halt when they ask about SALARY? The question was obvious but the answer was absurd; I have no salary account; I receive check or sometime in cash and the meeting terminated with a sorry note. I could not correlate both the things; may be some abstruse logic goes behind it. I tried to dig out the secret of being a SALARIED PERSON. What is salary and why it is so important? Way back in 13 th century the allowance is paid to the soldiers to purchase salt is known as salt money; as it was difficult to obtain and was a high value trade it was also considered a form of currency. And the etymology goes on and transformed Anglo-French word salarie to salary. However now a

कुछ अपनी

                                                   बारिश के बाद धूप ने हल्के-हल्के से जैसे पांव पसारना शुरू ही किया था, मेरी बेटी ने हौले से आँखें खोलकर देखा अपने बगल में मुझे लेटा देखकर एक सुकून की साँस ली और मेरे उठ कर चले जाने के ख्याल मात्र से ही उसने मुझे अपनी छोटी- छोटी बाँहो में कस कर भींच लिया और उसके पतले छोटे होठों पर हँसी कि एक पतली सी लकीर सी बन गयी. ऐसा लगा मानो दुनिया के सर्वस्व सुखों को किनारे कर उसने अपनी सबसे प्रिय वस्तु प्राप्त कर ली हो. मैंने भी उसके प्यार भरे आलिंगन और उसके सुनहरे सपने को तोड़ने का दुस्साहस नही किया. अपने सपनों में जो उसके बालों की ही तरह शायद सुनहरे हो वो अपने प्यारे पापा के साथ अपने स्कूल के सबसे प्यारे झूले पर झूल रही थी और मैं एक कोने में खड़ा उसके अपलक निहार रहा था, ना ही गिरने कि चिंता ना ही समय की कोई पाबंदी. उसने मुझे देखते ही झूले कि रफ्तार और बढ़ा दी. शायद उसे अपने पिता के होने मात्र से ही ये यकीन हो गया था कि सब कुछ सुरक्षित है और उसके पापा कुछ भी ग़लत नही होने देंगे. तभी दूर् से आती उसकी माँ की आवाज़ ने उसे घर वापस आने के लिए बुलाया और
                                                                  फर्क  "इस बार शायद आ नहीं पाऊंगा दीवाली पर माँ." बेटे ने माँ से फ़ोन पर कहा. "लेकिन अभी कल तक तो तू कह रहा था कि आ जायेगा. वैसे भी कितने दिन हुए तुझसे मिले हुए. त्यौहार में ही तो सारा परिवार इकठ्ठा होता है." माँ ने समझाते हुए कहा. " क्या करूं माँ आफिस से छुट्टी ही एक दिन कि मिली है अब एक दिन में आना जाना तो हो नहीं पायेगा. वैसे भी त्योहारों के मौके पर रिजर्वेशन मिलना नामुमकिन सा हो जाता है." बेटा बोला. " ठीक है बेटा कोई नहीं; नौकरी जरूरी है, आखिर तेरे भविष्य का सवाल है, त्यौहार तो आते जाते रहेंगे. और हाँ पैसे-वैसे हैं न तेरे पास? किसी चीज़ कि चिंता मत करना." माँ ने परिस्थिति को समझते हुए कहा. दूसरी तरफ बहू ने अपनी माँ से कहना शुरू किया- "हेल्लो माँ, हाँ -हाँ इन्हे छुट्टी मिल गयी है हम कल शाम को ही घर पहुँच जायेगे, बड़ा मजा आयेगा इस बार दीवाली पर. सब लोग मिल कर दीवाली मनाएंगे, और हाँ यहाँ से कुछ लाना हो तो बताओ." कुछ था जो बेटे को मन ही मन कचोट रहा था. लेखक- डी.एस

INDIA AND NEIGHBOR (Strategies and significance)

INDIA AND  NEIGHBOR  (Strategies and significance) Famous dramatist “John Bernard Shaw” once said that “we learn nothing from History”. May be most of us will not go with the motion but considering the present of India and its neighboring countries, the significance of the quote itself proves the worth. Be it Bangladesh, Italy, Japan, U.S.A. or China; Other than just considering India a commodity market, they hardly would have given a damn. Considering the present scenario of Indo-China relation; which otherwise often breached by china and encroachment made in Indian territories around 20 kms. And no reaction from Indian front might not have amused many of us. Because almost 500 yrs slavery (of different rulers) have not only paralyzed our bold decision making ability but to prove our worth as a strong nation. The basic heuristic approach if we use and retrospect we find that World War-II took place because countries like Germany and Italy did not have a market to sell. And

बोनस

                                                 बोनस  सभी लोग बारी- बारी से अपनी तनख्ववाह के इन्तेजार में मैनेजर से मिल रहे थे. बुधिया को भी इस दिन का महीनो से इन्तेजार था. वैसे तो ले-देकर बड़ी मुश्किल से ही इस बड़े शहर में गुजारा हो पाता था लेकिन अपने बेटे के चेहरे पे ख़ुशी कि वो एक झलक पाने के लिए उसे कितना इन्तेजार करना पड़ा ये शायद ही उसके अलावा कोई और जानता हो. अपने छोटे से गाँव रामपुर को छोड़कर आये हुए वैसे तो उसे कई साल बीत गए थे और वक़्त बेवकत वो अपने परिवार से मिलने जाता ही रहा है लेकिन इस बार का इन्तेजार कुछ ज्यादा ही लम्बा लग रहा था. दीपावली की छुट्टी का दिन धीरे- धीरे नजदीक आ गया था. पत्नी से बात हुयी तो उसने तो कुछ फरमाइश नहीं की लेकिन बेटे ने अपनी फरमाइशों का अम्बार लगा दिया, आखिर बाल सुलभ मन दूसरे बच्चों को देखकर खुद भी उन्ही के जैसे इच्छाये पालने लगता है बिना अपनी पारिवारिक और आर्थिक परिश्थिति के बारे में विचार करते हुए. बुधिया को भी अपने बेटे से मिलने की बड़ी तीव्र इच्छा थी लेकिन ये तो बोनस का लालच था जिसने उसे रोक रखा था. सोचा था बोनस के पैसे मिलेंगे तो बच्चे के
                                           आह चापलूसी- वाह चापलूसी  साहब के अचानक आने का समाचार प्राप्त हुआ, सभी मातहत अपने अपने तरीके से साहब को खुश करने के तरीके में जुट गए. साफ़-सफाई के ख़ास इन्तेजाम किये गए. सफाईवाले से कहकर दो- तीन बार सफाई करवाई, पान की पीक के दाग मिटाने के  लिए रंग रोगन का भी इन्तेजाम किया गया. नियत समय पर साहब की गाडी आकर रुकी. तीन- चार मातहत फूल- मालाएं लेकर साहब के स्वागत को बढे. बड़ी गर्मजोशी और आत्मीयता से मातहतो ने साहब का स्वागत किया. साहब ने घमंड से चारो ओर एक सरसरी निगाह फेरी और फिर अनमने ढंग से सारे फूल-मालाओं को उतारकर साथ चल रहे मातहत को दे दी. "आने में कोई तकलीफ तो नहीं हुई साहब" शर्मा जी झूठी आत्मीयता दिखाते हुए बोले. साहब ने कोई जवाब नहीं दिया. साथ से सारे लोग मन ही मन मुस्कुराने लगे, शर्मा जी को बड़ी आत्म-ग्लानी का अनुभव हुआ. मन ही मन उन्होंने साहब को गालिया भी दी. हालांकि भाव- भंगिमा से उन्होंने कुछ जाहिर नहीं होने दिया. साहब ने अपने कमरे में प्रवेश किया उनके पीछे-पीछे मातहतो का एक छोटा सा हुजूम भी उसी कमरे में दाखिल हुआ.ऐसा प्र

THIRD WORLD WAR; REASONS & INTERNATIONAL IMPACT ON INDIA

God forbid but what if third world war begins? Considering what would be issues and reasons; I received several and several reasons like food, water or electricity etc. etc. But I take the privilege to take a different view altogether from you. Which perhaps some or none of you; would have thought of. Yes; if third world war begins; definitely there would be a single reason i.e. JOB CRISIS. You may be shocked to know the answer, but perhaps that would have been the only reason that raised serious issues like colorism and strengthen immigration rules in developed nation. Way beyond a couple of years back people from developing countries started migrating to developed countries like Australia, US and UK. They didn’t hick up choosing below the belt and odd jobs there like cab driving, steward and so on. High class education system and shallow magnificent life style paralyzed the mind set of natives and sooner spendthrift nature crippled their saving and made a big dent in their pocket. L