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Showing posts from November, 2016

टटपूंजिये स्टार्ट अप और भारतीय अर्थव्यवस्था

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दिसंबर का महीना आमतौर पर अमेरिका में खरीदारी के लिए सर्वाधिक उपयोगी माना जाता है, और जहाँ एक तरफ बड़ी बड़ी कंपनिया स्टॉक क्लीयरिंग सेल का बोर्ड लगा कर अच्छा ख़ासा डिस्काउंट देती है वही दूसरी तरफ आम जनता के लिए अपनी पुरानी चीजों का परित्याग करके, न सिर्फ सस्ते दामों पर अपनी पसंदीदा सामान खरीद लेते है बल्कि अपनी जमापूंजी का सदुपयोग भी कर लेते है. और अगर ईयर एंडिंग सेल की बात दरकिनार भी कर दी जाए तो भी नयी कंपनियों के लिए ये एक सुअवसर से कम नहीं होता कि वे इस पवित्र महीने (जीसस क्राइस्ट के जन्मदिन के कारण) अपने प्रोडक्ट की लॉन्चिंग करे. हालांकि ऐसा हर प्रोडक्ट की लॉन्चिंग के लिए शुभ हो ऐसा जरूरी नहीं, गौरतलब है कि इसी तरह के पूर्वाग्रह कि शिकार अमेरिकी कंपनी माइक्रोसॉफ्ट भी हो चुकी है जिसने विंडोज 7 का आगाज दिसम्बर महीने में किया. भले ही प्रोडक्ट उतना सफल नहीं रहा परंतु अमेरिकी कंपनिया और वहां कि जनता में इस पवित्र महीने को लेकर क्रेज कुछ ज्यादा ही है. कमोबेश यही परिस्थितियां इस बार भारतीय बाज़ारों में भी है परंतु यहाँ इस रुझान का कारण कुछ और न होकर बल्कि नोटबंदीकरण से जुड़ा हुआ है. जहाँ

क्या वास्तव में नोटबंदी से वापस आएगा कालाधन?

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विगत 8  नवंबर को प्रधानमंत्री द्वारा लिए गए नोटबंदी के ऐतिहासिक फैसले का मिलाजुला असर देखने को मिल रहा है. जहाँ एक तरफ कुछ लोग इसके विरोध में है वहीँ कुछ लोग इसका समर्थन भी कर रहे है. हालांकि जहाँ एक तरफ सरकार के इस फैसले से विपक्छ लामबंध होकर हर आड़े-टेढ़े हथकंडे अपना कर सरकार को घेरने की हर संभव प्रयास कर रहा है वहीँ सरकार अपने पूर्ववत निर्णय पर अड़ा हुआ है. दूसरी तरफ इन सब से इतर आम जनता है जो अपनी मजबूरी पर अच्छे दिन आने के सपने संजो रही है. भले ही आप इस निर्णय से खुश हो या नहीं. सहमत हो या नहीं परंतु यहाँ एक यक्ष प्रश्न नोटबंदी से कालेधन की वापसी का है, क्या वास्तव में नोटबंदी से कालाधन वापस आ जायेगा? सिर्फ अगर मीडिया और रिपोर्ट्स की बात की जाए तो अनुमानतः लगभग 4 लाख करोड़ रुपये अभी बैंको में जमा हुआ है जबकि सिर्फ 1 हज़ार करोड़ रुपये ही लोगों को बदली  कराये है.इस बाबत जहाँ बैंको में तरलता (लिक्विडिटी) बढ़ी जिसके कारण बैंको की लोन देने की छमता भी बढ़ गयी है और यस. बी. आई. समेत कई बैंक या तो ब्याज दरों में कटौती कर चुके है या फिर तैयारी कर रहे है. और लोन रेट कम हुए है जिनका निसंदेह