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दो मुंह वाला आदमी

उसे किसी बात की चिढ़ या शायद नाराजगी थी वरना अक्सर ही कोई बिना वजह के क्यों अनायास ही आक्रोशित हो जाएगा। जितना मैंने उसे समझा वो वैसा तो बिल्कुल नही था जैसा वो दिखता था या फिर जैसा दुनिया उसे समझती थीं। एक असफल सनकी, जी हां संभवता यही सबसे उपयुक्त विशेषण होगा उसका चरित्र चित्रण करने के लिए परन्तु ऐसे ही न जाने कितने ही अन्य विशेषण उसके व्यक्तित्व को परिभाषित करने के लिए काफी होंगे। आदमी की अजीब फितरत में शुमार एक विशेष गुण उसके जजमेंटल होने का है, और भले ही हम व्यावहारिक और समझदार होने के चक्कर में चीजों को कितना भी ठोंक-बजा के क्यों न देखे। परन्तु जजमेंटल होने में हम सिर्फ सुनी -सुनाई बातों पर ही सहज यकीन कर लेते है। खास तौर पर जब हमें दूसरों का परीक्षण करना हो। मसलन अगर आपका पड़ोसी किसी के बारे में बोले कि फलां आदमी चोर है या मक्कार है तो क्या आप उसकी बातों का परीक्षण करने जाएंगे। अथवा मान लीजिए कि आपका कोई परिचित किसी लड़की या महिला के चरित्र पर उंगली उठता है, तो क्या आपका उस लड़की या महिला को देखने का नजरिया नही बदल जायेगा। सहज विश्वास और फिर उससे उपजी प्रतिक्रिया ही आपके दृष्