Dear Friends, As promised,sharing herewith the first chapter of program. please provide me your valuable feedback.
उद्घोषणा- इस प्रोग्राम में इंगित किया गया रेडियो चैनल एक कल्पना मात्र है, इसका वास्तविकता से कोई समबन्ध नहीं है. अगर कोई समानता पायी जाती है तो ये मात्र एक संजोग हैΙ
स्टार्ट अप-रेडियो नाइन
फर्स्ट चैप्टर
आम आदमी की ख्वाहिशे भी आम आदमी की तरह ही जिंदगी भर ये ही समझने में बीत जाती है कि आखिर उसका आस्तित्व है क्या? क्या सही है, क्या गलत, कौन पहले है और कौन बाद मेंΙ किसी मशहूर शायर का एक कलाम अचानक ही जेहन में कुछ भूली- बिसरी यादों को कितनी आसानी से बयान कर जाता है:-
"मैं दुकानो पर खिलौने ढूंढता ही रह गया,
और मेरे बच्चे सयाने हो गए."
सच पुछा जाये तो हम आप सभी अगर इस बात से मुतमईन (विश्वास करना/इतिफाक रखना) नहीं है तो और क्या है? रोज सुबह कि वही भागमभाग और रोज शाम का यूँ ही आहिस्ते से गुजर जानाΙ आपको नहीं लगता कि हमारी जिंदगी कोल्हू के उस बैल की तरह हो गयी है, जो भले ही कितने चक्कर लगा ले, घूम-फिर कर फिर से उसी जगह पहुँच जाता हैΙ लोग-बाग़ भले ही इसे जिंदगी कहे लेकिन क्या ये जिंदगी वास्तव में वैसी ही है जैसा हम चाहते है या जैसा बनाने की कोशिश में ताउम्र लगे रहते हैΙ
मेरा नाम गौरव है और आप सुन रहे है ,रेडियो नाइनΙ मेरी तरह अगर आपको भी लगता है कि आप कि जिंदगी रुक सी गयी है तो आप मुझे फ़ोन कर सकते है और बता सकते है अपनी राय 8750124 ### पर .
उद्घोषणा- इस प्रोग्राम में इंगित किया गया रेडियो चैनल एक कल्पना मात्र है, इसका वास्तविकता से कोई समबन्ध नहीं है. अगर कोई समानता पायी जाती है तो ये मात्र एक संजोग हैΙ
स्टार्ट अप-रेडियो नाइन
फर्स्ट चैप्टर
आम आदमी की ख्वाहिशे भी आम आदमी की तरह ही जिंदगी भर ये ही समझने में बीत जाती है कि आखिर उसका आस्तित्व है क्या? क्या सही है, क्या गलत, कौन पहले है और कौन बाद मेंΙ किसी मशहूर शायर का एक कलाम अचानक ही जेहन में कुछ भूली- बिसरी यादों को कितनी आसानी से बयान कर जाता है:-
"मैं दुकानो पर खिलौने ढूंढता ही रह गया,
और मेरे बच्चे सयाने हो गए."
सच पुछा जाये तो हम आप सभी अगर इस बात से मुतमईन (विश्वास करना/इतिफाक रखना) नहीं है तो और क्या है? रोज सुबह कि वही भागमभाग और रोज शाम का यूँ ही आहिस्ते से गुजर जानाΙ आपको नहीं लगता कि हमारी जिंदगी कोल्हू के उस बैल की तरह हो गयी है, जो भले ही कितने चक्कर लगा ले, घूम-फिर कर फिर से उसी जगह पहुँच जाता हैΙ लोग-बाग़ भले ही इसे जिंदगी कहे लेकिन क्या ये जिंदगी वास्तव में वैसी ही है जैसा हम चाहते है या जैसा बनाने की कोशिश में ताउम्र लगे रहते हैΙ
मेरा नाम गौरव है और आप सुन रहे है ,रेडियो नाइनΙ मेरी तरह अगर आपको भी लगता है कि आप कि जिंदगी रुक सी गयी है तो आप मुझे फ़ोन कर सकते है और बता सकते है अपनी राय 8750124 ### पर .
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