सच और भ्रम
सच क्या है और भ्रम क्या कभी जानने की कोशिश की है आपने? सच और भ्रम में सिर्फ एक बारीक सा फर्क है. आप है ये सच है और आपसे दुनिया है ये भ्रम है. सच ये भी है कि आप सिर्फ अपने आपसे प्यार करते है अपने आप कि चिंता करते है और अपने ही कर्म फल को भोगेंगे, फिर भ्रम ये है कि लोग आपको चाहते आपकी तारीफ करते है और आपको सम्मान देते है. हमारे सामाजिक और पारिवारिक बंधन सिर्फ एक जुड़ाव मात्र है वास्तविकता में ये सिर्फ माया और भ्रम है. जिसे आप दिलोजान से चाहते है उसका असमय चले जाना आपको विचलित तो कर देता है परन्तु क्या वास्तव में आप उसी के साथ अपने जीवन का अंत कर देते है नहीं न. यहाँ सिर्फ अंत रिश्ते या जुड़ाव का होता है न कि आपका. आप सच को आत्मसात कर लेते है और जिंदगी फिर उसी पुराने ढर्रे पर लौट आती है. जुड़ाव सिर्फ छणिक होता है क्योंकि यह सिर्फ एक भ्रम मात्र होता है और जिस तरह ज्ञान का उदय होने पर अज्ञानता मिट जाती है ठीक उसी तरह सच का ज्ञान होने पर अज्ञानता रूपी भ्रम का अंत हो जाता है. जब तक आप दुनियादारी और लोगों के जुड़ाव को वास्तविकता मानते रहेंगे आपका स्वयं से एकाकार नहीं हो पायेगा और जो व्यक्ति स्व