आगंतुक कमरे में अचानक उसका आगमन मुझे मेरी निजता में दखलंदाजी के माफिक लगा, हालाँकि वह कमरा हम दोनों के लिए पर्याप्त था लेकिन शायद मुझे अपने कमरे में किसी बिन-बुलाये मेहमान का अचानक आ धमकना नागुजार लग रहा था. संभवता वह रोशनदान के रास्ते कमरे में दाखिल हुई थी और थोडा रुकते और चलते उस अनदेखी पगडण्डी के सहारे वह उस प्रकाश- स्रोत टयूब लाइट तक जा पंहुची . जी हाँ ये एक छोटी छिपकली थी, अनायास ही पड़ी मेरी नज़र ने उसे वापस भेजने का निर्णय ले लिया. पहले- पहल हुल्कारने से जब बात नहीं बनी तो डंडे और झाड़ू से डरा- धमका कर भगाने की कोशिश की. लेकिन शायद इस नए मेहमान ने ऐसे स्वागत की आकांशा भी नहीं की होगी. थोडा बहुत प्रारंभिक प्रयास में सफलता मिलती सी लगी जब वह वापस रोशनदान की तरफ बढ़ी, लेकिन अगले ही पल न जाने उसे क्या सूझा की उसने बाहर जाने के बजाय वापस टयूब लाइट की तरफ दौड़ लगा दी और टयूब लाइट की पट्टी के नीचे घुसकर न सिर्फ अपना स्थान सुरक्षित कर लिया बल्कि मानो सीधे लडाई के लिए चुनौती ही दे डाली. उसने कमरा छोड़ने का निर्णय और मैंने उसे भगाने का निर्णय टाल दिया. सच कहा जाए तो मैं उससे हार गया था. अब उस
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