जैविक खतरे की तरफ बढ़ता विश्व
जैविक खतरे की तरफ बढ़ता विश्व विगत कुछ दिनों में करोना वायरस जैसी वैश्विक महामारी ने विकसित और विकासशील दोनों देशो के मध्य चिंता की एक बड़ी लकीर खींच दी है। यही नहीं इसने विकसित देशो के हर प्रकार के खतरे से निपटने के दावों की न केवल पोल खोल दी है बल्कि ये चेतावनी भी दे दी है कि राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर उनके द्वारा अपनाये जा रहे मानदंड न केवल महज खानापूर्ति भर है बल्कि वैश्विक स्तर पर भी नाकाफी है। बदलते परिवेश के मुताबिक विकसित देशो को जैविक हथियारों के निर्माण और प्रचार-प्रसार पर निगाह रखनी अत्यंत आवश्यक हो गई है। गौरतलब है कि भले ही आज विश्व में करोना जैसे वायरस को एक वैश्विक बीमारी का दर्जा दिया जा रहा हो सम्भावना ये भी हो सकती है कि कोरोना जैसा वायरस जैविक हथियारों का एक परिक्षण मात्र हो। ज्ञान्तव हो कि आज की ही भांति यदि किसी प्रकार के जैविक हथियार का प्रयोग भविष्य में अगर किया गया तो इसके परिणाम कितने भयानक हो सकते है। कल्पना कीजिये कि आप के अडोस-पड़ोस में बसेरा करने वाले पशु-पक्षियों से लेकर वे तमाम व्यक्ति जिनके संपर्क में आप रोज आते है किसी न किसी प्रकार के वायरस के वा